Database Normalization:-
DBMS में, Normalization डेटा को organise(व्यवस्थित) करने की प्रक्रिया है। सामान्यतया यह two step process है जो निम्न है:-पहला step:-पहले step में, यह रिलेशनल टेबल में से redundant data(वह डेटा जो एक से अधिक बार स्टोर हुआ हो) को eliminate करता है।दूसरा step:-दूसरे step में, यह ensure करता है कि table में केवल उससेसम्बंधित डेटा ही store हो।Normalization का मुख्य उद्देश्य ऐसे रिलेशनल टेबल के समूह को create करना है जिसमें कि redundant डेटा न हो तथा जो निरंतर और सही तरीके से modified हो सकें।Types of
Normal Forms:-DBMS में normal forms पाँच प्रकार के होते हैं। लेकिन हम यहां पर तीन प्रकार के नार्मल फॉर्म्स के बारेंमें discuss करेंगे जिनको कि E.F CODD ने प्रस्तावित किया है।
1. First normal form(1NF):-एक टेबल तब first normal form में होता है जब वह repeating groups( बार-बार एक ही डेटा) को contain नही करता।वह रिलेशन या टेबल जो repeating groups को contain किये रहती है वह रिलेशन या टेबल un-normalized कहलाताहै।
2. Second normal form(2NF):-एक टेबल या रिलेशन तब 2nd normal form में होता है जब वह 1st normal form की सभी requirements को पूरी करता हों औरसभी non key attributes पूरी तरह से primary key पर निर्भर हों।
3. Third normal form(3NF):-कोई टेबलया रिलेशन तब 3rd normal form में होता है जब वह 2nd normal form की सभीजरूरतों को पूरी करता हो तथा उनमें transitive function dependency नही होनी चाहिए।” Transitive functional dependency का अर्थ है यदि X functional dependent है Y पर तथा Y functional dependent है Z पर तो Z transitively dependent होगाX और Y पर।”
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